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इच्छापत्र का निर्माण, मूलतत्त्व तथा चुनौतियां

 

संपति के अधिकारी हैं जिसे आप अपने निधन के बाद किसी अपने को देना चाहतें हैं? आपकी अनुपस्थिति के दौरान अपने बच्चों के लिए एक अभिभावक नियुक्त करना चाहतें हैं? एक वसीयतनामा यह सुनिश्चित करना निर्धारित करता है कि कोई परेशानी न हो! एक आम भ्रम है कि आपके निधन के बाद, आपकी संपतियाँ, सीधे तौर पर आपके परिजनों को प्राप्त होतीं हैं, परंतु ऐसा नहीं है। भारत में, परिसंपतियों के वितरण के संबंध में घरों में विवाद होते हैं। इसलिए, एक वसीयतनामा तैयार करना यश सुनिश्चित करता है कि परिवार में संपति का वितरण आपकी इच्छानुसार है तथा उसमें किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं है। ज़्यादातर समय, वकील किसी व्यक्ति का अंतिम वसीयतनामा तैयार करतें हैं, तथा उनके लिए उसकी अवधारणा को बेहतर प्रकार से समझना आवश्यक करते हैं।

इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य एक वसीयतनामा तैयार करने की गलत धारणाओं को दूर करना है। वसीयत के निर्माण से संबंधित शब्दावली, उन प्रकारों तथा खण्डों/उपनियमों के साथ जो एक वसीयतनामे को मान्य/वैध बनाते हैं, की विस्तृत चर्चा की गयी है। वसीयतनामे के नमूना प्रारूप भी आपको समझाने के लिए प्रदान किये गए हैं तथा अपनी स्वयं की वसीयत किस प्रकार बनाये, इस पर आपको मुख्य बिंदु भी प्रदान किये गए है, यह पाठ्यक्रम वकीलों के लिए भी सहायक है जिससे कि वह ज़रुरतमंदों को सलाह देने में सक्षम हो सकें।

पाठ्यक्रम का परिणाम

 
 

इस पाठ्यक्रम के समाप्त होने पर, आप सक्षम होंगें:

  • आम गलत धारणाओं को खारिज करना
  • एक वसीयतनामे को तैयार करने से संबंधित मुख्य परिभाषाओं को पहचानना
  • एक वसीयतनामें को तैयार करने के लाभ का विश्लेषण
  • वसियातनामों के प्रकारों के मध्य अंतर करना
  • एक वसीयत को को बनाने की आवश्यकता तथा विधि को समझना

पाठ्यक्रम की रूपरेखा

 
 
  • मोड्यूल 1 – वसीयत तथा इच्छापत्र: अवधारणा
  • मोड्यूल 2 – उत्तराधिकार का कानून
  • मोड्यूल 3 – एक वसीयत को तैयार करना
  • प्रमाण पत्र परीक्षा / मूल्यांकन

CERTIFICATION

 

Honors Badge

किसको यह पाठ्यक्रम लेना चाहिए?

  • वकील
  • क़ानूनी सलाहकार तथा अधिवक्ता
  • शोध विद्यार्थी
  • आम व्यक्ति जो एक वसीयतनामा तैयार करने का इच्छुक हो|

स्तर: शुरुआत

भाषा: हिन्दी

अवधि: 6 महीने

मूल्यांकन विधि

पाठ्यक्रम का प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए, पाठ्यक्रम के अंत में शिक्षार्थी का सभी असाइनमेंट्स का जमा करवाना तथा प्रमाण पत्र परीक्षा में कम से कम 50% अंक अर्जित करना अनिवार्य है।

लेखक के बारे में

प्रेमालता एस. 13 से अधिक वर्षों के प्रबल अनुभव के साथ, एक वकील तथा क़ानूनी सलाहकार हैं। उन्होंने कई क़ानूनी एजेंसियों में पर्याप्त अभ्यास तथा कर्नाटक उच्च न्यायलय, ट्रायल न्यायालयों, मोटर दुर्घटना मुआवजा ट्रिब्यूनल, उपभोक्ता मंच, ऋण वसूली ट्रिब्यूनल, कर्णाटक प्रशासनिक ट्रिब्यूनल, श्रम न्यायलय तथा अर्ध न्यायिक अधकारियों तथा वैकल्पिक विवाद तंत्र सहित, में न्याय किया है। वर्तमान में, वह एक परामर्श फर्म चला रहीं हैं जो ग्राहकों की एक व्यापक श्रंखला को पेशेवेर सलाह के साथ क़ानूनी सेवाएं प्रदान करतीं हैं जिनमें व्यक्ति तथा उपभोक्ता सरंक्षण, संपति लेन-देन, पारिवारिक मामलों, वैकल्पिक विवाद तंत्रों, बैंकिंग तथा बीमा, क़ानूनी स्वीकृति इत्यादि के क्षेत्र में शामिल कम्पनियाँ शामिल हैं।

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